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Lapataa Hoon Mai अपने आप से बातों का एक संग्रह एक कविता लापता हूं मैं दीप जांगड़ा की कविता

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  लापता हूँ मै  हर रोज होती मेरी मुझ से लड़ाई का गवाह हूँ मै  जितना सुलझा हूँ उस से उतना जयादा बेपरवाह हूँ मै शायद मेरी गलती से ही आज इतना खपा हूँ मै  ढून्ड़ नही पाया खुद को तो क्या लापता हूँ मै  लापता हूँ मै  मै तो हमेशा से मुझ को मुझमे ही खोजा करता हूँ  क्या कहेगा जमाना मुझे इस से मै कहाँ डरता हूँ  मै को मुझ से निकालने मे जो हुई वो खता हूँ मै  ढून्ड़ नही पाया खुद को तो क्या लापता हूँ मै  लापता हूँ मै  मेरे साथ अब तो मेरी नींद भी नही है  जो है वोही तो सच है फरेब कुछ नही है  जिसकी मंजिल नही कोई वो भटकता रासता हूँ मै  ढून्ड़ नही पाया खुद को तो क्या लापता हूँ मै  लापता हूँ मै  पीता रहा हूँ दर्द कभी आँसू गैहरी प्यास मे शायद पा लूँ खुद को हूँ अब भी इसी आस मे डैह चुकी हो जो मंजिल अब तो खासता हूँ मै  ढून्ड़ नही पाया खुद को तो क्या लापता हूँ मै  लापता हूँ मै  जजबातों की भी मेरे अब तो कोई कद्र नही जिन्दा हूँ अभी मै दबा कोई मुरदा कब्र नही  अपने इरादों मे आज भी अब भी उडना चाहता हूँ मै  ढून्ड़ ...

"नारी सुरक्षा: Bharat Men Mahilaon Ke Prati Badhte Apradh - दीप जांगड़ा" Deep Jangra Ki Kavita Nahi Chahiye Vo Bharat

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************ नही चाहिए वो भारत*************** हमें नही चाहिए अब वो भारत जहां कद्र नही है नारी की जहां राजनीति का मुद्दा बनती लुटती अस्मत बेचारी की व्याकुल होकर भूख प्यास से जहां मरे आदमी सड़कों पर इज्जत में धर्म घुसा देते हैं मैं क्या बोलूं उन कडकों पर सम्मान नही जहां नारी का जहां औरत पैर की जूती है क्या जीना उस राजा का जिसके मंत्री की नीयत झूटी है जहां न्याय जोहती मरे अबला क्या कीमत है लाचारी की हमें नही चाहिए अब वो भारत जहां कद्र नही है नारी की जहां राजनीति का मुद्दा बनती लुटती अस्मत बेचारी की कहाँ गए अब अच्छे दिन वो जिनका लालच देकर आये थे अब कहां सुरक्षा है नारी की जो ख्याली पुलाव पकाए थे नही चाहिए राज़ किसी बेशक़ लावारिस कर दो घोषित ओर नही लुटवानी अस्मत ओर नही अब होना शोषित जो नौचे सीना संस्कारों का वाहवाही हो अत्याचारी की हमें नही चाहिए अब वो भारत जहां कद्र नही है नारी की जहां राजनीति का मुद्दा बनती लुटती अस्मत बेचारी की कभी यूपी कभी दिल्ली तो कभी मध्य प्रदेश कभी हरियाणा होता जाता है निर्लज भारत अब ओर बचा क्या समझाना कभी निर्भया कभी गुड़िया गीता अब संस्कृति को लूटा...

"तरक्की का राज: रुकावटों का सच और समाधान":"तरक्की क्यों रुक गई: समस्याओं और समाधानों की खोज" Tarakki Kyon Ruk Gai Hai

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  ********* तरक़्क़ी क्यों रुक गई*********** मैं पढ़ लूँ हर पहलू इस जमाने का तो कहुँ तरक़्क़ी क्यों रुक गई उतर जाऊं बाज़ार में सियासत के तो कहुँ तरक़्क़ी क्यों रुक गई सितम देख लूँ ज़ुल्म देख लूँ और बेअदबी का क़हर भी देख लूँ ज़ालिमों के दिलों में उबलता हुआ नफरतों का ज़हर भी देख लूँ दो पलू की जी लूँ जिंदगी शौक़ से तो कहूँ तरक़्क़ी क्यों रुक गई मैं पढ़ लूँ हर पहलू इस जमाने का तो कहुँ तरक़्क़ी क्यों रुक गई उतर जाऊं बाज़ार में सियासत के तो कहुँ तरक़्क़ी क्यों रुक गई जवान फ़सल के जैसे अपने खेतों में मैं भी लहराना चाहता हूँ अपने हिस्से के हक़ों के लिए मैं हुकुमतों से टकराना चाहता हूँ बंजर ज़मीनों में पसीना बहा लूँ तो कहुँ तरक़्क़ी क्यों रुक गई मैं पढ़ लूँ हर पहलू इस जमाने का तो कहुँ तरक़्क़ी क्यों रुक गई उतर जाऊं बाज़ार में सियासत के तो कहुँ तरक़्क़ी क्यों रुक गई अब अपने दर्द का मरहम मैं ख़ुद ब ख़ुद करने लग जाऊं तो क्या कभी भूख कभी बारिश से कभी भाव कर्ज़ से मर जाऊँ तो क्या किसानों के मर्ज़ की दवा बना लूँ तो कहूँ तरक़्क़ी क्यों रुक गई मैं पढ़ लूँ हर पहलू इस जमाने का तो कहुँ तरक़्क़ी क्यों रुक गई उतर जाऊं बाज़ा...

Scientists found a ‘golden egg’ deep in the sea near Alaska. वैज्ञानिकों ने अलास्का के पास समुद्रतल में एक सोने के अंडे को खोजा है: Golden egg alaska in hindi

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समुंदरी जीवन के साथ समृद्धि का सबूत समुंदरी जीवन और जलवायु परिवर्तन का अंगूठा लगाते हुए, NOAA (National Oceanic and Atmospheric Administration) ने अलास्का के समुंदरों में एक सोने के अंडे की खोज की है, जो एक महत्वपूर्ण मोड़ने की खबर है। इस आदर्श की खोज से न केवल समुंदरी जीवन के अध्ययन में एक बड़ी प्रागल्भ्य मिलेगी, बल्कि हमारे जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को भी समझने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी। सोने के अंडे की खोज : समुंदरी जीवन के अध्ययन में, सोने के अंडे का पता लगाना एक महत्वपूर्ण कदम है। इन अंडों के माध्यम से, हम समुंदरी जीवन की जीवन प्रक्रिया को समझ सकते हैं और उनके प्राकृतिक परिवर्तन को गहराई से अध्ययन कर सकते हैं। खोज की प्रक्रिया: NOAA का योगदान NOAA (National Oceanic and Atmospheric Administration) की टीम ने अलास्का के समुंदरों में सोने के अंडे की खोज करने के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस प्रक्रिया में, वे नावों के साथ गहरे समुंदर की खोज करते हैं और सोने के अंदों की पहचान के लिए विशेष तकनीक का उपयोग करते हैं। इस आदर्श की खोज से हमारे समुंदरों के स्वास्थ्य और प्रा...

"एक एहसास: हरयाणवी संस्कृती को अर्पित | दीप जांगड़ा की रचना" Haryanvi Sanskrity Ko Smarpir Kavita Ek Ehsaas

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  ************ एक एहसास *************** आज एक एहसास युहीं मचल कर सामने आ गया छलक आई आँखे और अँधेरा सा छा गया मैंने पूछा क्यों इतना इतराया है आखिर क्या समझ में आया है तो वो भी थोडा झल्लाकर एक आइना मुझे दिखा गया आज एक एहसास युहीं मचल कर सामने आ गया फिर रुका और बोला क्यों भूल गया के क्या है तू खुद से बड़ा किसी को समझता नहीं तो क्या खुदा है तू मैंने पूछा आखिर हुआ क्या है बता दो माज़रा क्या है छीन कर मेरी क़लम और किताब कुछ लिखकर बता गया आज एक एहसास युहीं मचल कर सामने आ गया कुछ यूं लिखा उसने मेरी मोजुदगी में मैं समझ ना पाया उसी बात को उसने कुछ इस तरह गुनगुनाया मेरी हालत और हालात ऐ वतन मेरे सामने थे अब कुछ अजीब से लहजे में उसने गा के भी सुना गया आज एक एहसास युहीं मचल कर सामने आ गया पर मुझे क्या पड़ी थी आखिर था तो एक एहसास ही मैं भी नींद में था सोया था पर था तो एक लाश ही कुछ नहीं समझा मैं नासमझ इस समाज की तरह और वो जाते जाते मुझे एक सबक भी सीखा गया आज एक एहसास युहीं मचल कर सामने आ गया सबक भी गहरा था मेरा था मेरे ही लिए कहा था उसने लाख बुराई झेली लाख दुःख उठाये हर दर्द ...

"प्रेम की अनसुनी कहानी: 'कैसी मोहब्बत निभा रहे हैं तेरे अपने'"

********** क्या कभी तुमने सोचा था *********** कैसी मोहब्बत निभा रहे हैं तेरे अपने क्या कभी तुमने सोचा था किस रंग से रंग रहे हैं दामन तेरा क्या कभी तुमने सोचा था क्या मजबूरी है ऐसी जैसे तेरे अपने अब तेरे नहीं हैं तेरी झोली में जन्मे हैं तो क्या तेरे लुटेरे नहीं हैं तू समझता है ये तो मैं भी जानता हूँ मेरे दोस्त पर इतना उछालेंगे तेरे अपने तेरी इज्जत क्या तुमने कभी सोचा था। तेरी मर्यादा का उल्लंघन तू देखता तो है रोज ऐसे होता अगर पहले जैसा होता तो सोच ना तू कैसा होता कैसे खिलते थे तेरी रागिनियों की धुन में मौसम और आज इस कदर लाचार होगया क्या तुमने सोचा था तेरा अंश ही लगा है तेरे वजूद को मिटटी में मिलाने को और तू आज भी कोशिश में हैं बस प्रेम ही प्रेम फैलाने को मैं भी कैसे समझाऊं इस जमाने को कोन मानता है यहां इस तरह होगा तेरे उसूलों से खिलवाड़ क्या तुमने सोचा था मेरी कलम को मैं खुद तेरे लिए तेरे अधीन कर चुका हूँ मैं तो बस तेरे लिए जिन्दा हूँ दीप की नज़रों में मर चूका हूँ इस मासूमियत के साथ जीकर करता भी क्या आखिर सूर्य कवी भी रहकर चले जाएंगे क्या तुमने सोचा था उनकी भी तो आत्मा क...

"दुनिया में एक सच्चा साथी: यात्रा ईमान और दोस्ती की":"Finding a True Companion in a Lost World: A Journey of Faith and Friendship"

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                                                    सच्चा साथी दुनिया मे एक सच्चा साथी सच्चा साथ निभाएगा भटक गयी गर राह तेरी कोई अपना राह दिखाएगा तेरे मन के मैले पापों को कैसे कोई "संगम" साफ़ करे कुछ नेक लिखे तू अपनी कलम से तेरा  रब इन्साफ़ करे तू अपने सफ़र की सारी सीढी खुद ही चढता जाएगा गर पडी जरुरत राहों मै कोई अपना साथ निभाएगा दुनिया मे एक सच्चा साथी सच्चा साथ निभाएगा भटक गयी गर राह तेरी कोई अपना राह दिखाएगा तेरी बातें सुनकर जागा हूँ मुझे सोने से कब फ़ुरसत थी मिल गया खुदा तेरी बातों मे बस यही तो मेरी हसरत थी इसी बात को लेकर चिंतित था के कौन मुझे समझाएगा दुनिया मे एक सच्चा साथी सच्चा साथ निभाएगा भटक गयी गर राह तेरी कोई अपना राह दिखाएगा तेरी कलम ही तेरी ताक़त हो तू चाँद भी नीचे ले आये तू लिखे शुद्ध पवित्र बातें तेरी वाणी मे ना अंतर आये तेरे नाम का ही उच्चारण हर जन के लब पर आयेगा दुनिया मे एक सच्चा साथी सच्चा साथ निभाएगा भटक गयी गर राह त...