"नारी सुरक्षा: Bharat Men Mahilaon Ke Prati Badhte Apradh - दीप जांगड़ा" Deep Jangra Ki Kavita Nahi Chahiye Vo Bharat
************नही चाहिए वो भारत***************
हमें नही चाहिए अब वो भारत
जहां कद्र नही है नारी की
जहां राजनीति का मुद्दा बनती
लुटती अस्मत बेचारी की
व्याकुल होकर भूख प्यास से
जहां मरे आदमी सड़कों पर
इज्जत में धर्म घुसा देते
हैं मैं क्या बोलूं उन कडकों पर
सम्मान नही जहां नारी का
जहां औरत पैर की जूती है
क्या जीना उस राजा का जिसके
मंत्री की नीयत झूटी है
जहां न्याय जोहती मरे अबला क्या
कीमत है लाचारी की
हमें नही चाहिए अब वो भारत
जहां कद्र नही है नारी की
जहां राजनीति का मुद्दा
बनती लुटती अस्मत बेचारी की
कहाँ गए अब अच्छे दिन वो
जिनका लालच देकर आये थे
अब कहां सुरक्षा है नारी की
जो ख्याली पुलाव पकाए थे
नही चाहिए राज़ किसी बेशक़
लावारिस कर दो घोषित
ओर नही लुटवानी अस्मत ओर
नही अब होना शोषित
जो नौचे सीना संस्कारों का
वाहवाही हो अत्याचारी की
हमें नही चाहिए अब वो भारत
जहां कद्र नही है नारी की
जहां राजनीति का मुद्दा
बनती लुटती अस्मत बेचारी की
होता जाता है निर्लज भारत अब ओर बचा क्या समझाना
कभी निर्भया कभी गुड़िया गीता अब संस्कृति को लूटा है
ये तो बता दो सियासत दानों क्या कोई धर्म अभी भी छूटा है
अरे कितनी बर्बादी देखेंगे हम मां भारती की दुलारी की
हमें नही चाहिए अब वो भारत जहां कद्र नही है नारी की
जहां राजनीति का मुद्दा बनती लुटती अस्मत बेचारी की
समय बदल दो अब तो कुछ तुम अपनी नीयत साफ करो
ऐ सुनो हकूमत के अंधो अब तो कुछ तुम इंसाफ करो
अब समय समय से परे हुआ अब दौर बदलकर के आने दो
दीप जलाने से अब क्या होगा उस पापी का शरीर जलाने दो
गर नही सुरक्षित नारी राज़ में क्या जिंदगी खादी धारी की
हमें नही चाहिए अब वो भारत जहां कद्र नही है नारी की
जहां राजनीति का मुद्दा बनती लुटती अस्मत बेचारी की
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