विश्व भर से विलुप्त हो चुके जानवरों की एक लिस्ट The List of World's Extinct Animals: Duniya se Vilupt Ho chuke Sabhi Praniyon Ki Sateek Jankari

विश्व भर से विलुप्त हो चुके जानवरों की एक लिस्ट The List of World's Extinct Animals: Duniya se Vilupt Ho chuke Sabhi Praniyon Ki Sateek Jankari



विश्वभर में अनेक प्राकृतिक परिवर्तनों के कारण बदलती हुई मानवीय गतिविधियों ने भी अनेक प्राणियों को अपनी मौत के घातक दस्तावेज़ बनाया है। आजकल विलुप्त प्राणियों का विषय विशेष रूप से चिंताजनक है, क्योंकि उनका संरक्षण हमारे प्राकृतिक विरासत के बारे में जानकारी प्रदान करता है और उनके संरक्षण के लिए हमें सावधान रहने की आवश्यकता है। इस रिपोर्ट में, हम पिछले एक सदी में विलुप्त हो गए 50 प्रमुख प्राणियों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करेंगे।

डोडो (Dodo) - 17वीं शताब्दी, 

मानव विस्तार के कारण


डोडो एक प्राचीन और अद्भुत पक्षी था जो मॉरीशस द्वीप पर पाया जाता था। यह एक अल्पसंख्यक जन्तु था जिसका वजन लगभग 15-40 किलोग्राम तक होता था। डोडो की विशेषता थी उसके बड़े मोटे शरीर और छोटे पंखों की वजह से वह उड़ नहीं पाता था। डोडो अपनी अद्भुतता के कारण विलीन हो गया क्योंकि जब मानव ने मॉरीशस द्वीप पर आक्रमण किया, वह इस प्राकृतिक सौंदर्य से भरे पक्षी को अधिक उत्साह से शिकार करने लगे। उनके साथी जनवार और प्रवासियों ने भी इसे खत्म करने में अहम योगदान दिया। जब अंततः डोडो की प्रजाति समाप्त हो गई तो उसे विलीन घोषित किया गया। डोडो का समापन होना एक दुखद घटना है, क्योंकि यह एक अनूठे प्राकृतिक प्रजाति थी जो आज के दौरान नष्ट हो गई। इसे बचाने के लिए अब हमें वन्यजीवन के संरक्षण और पर्यावरणीय संतुलन की देखभाल करने की आवश्यकता है ताकि हमारे आने वाली पीढ़ियां भी इस प्राकृतिक धरोहर का आनंद उठा सकें।


मॉ आओरिस (Moa) - 15वीं शताब्दी, 

अनियंत्रित शिकार के कारण


मॉ आओरिस एक प्राचीन अशी बग़ैर थी जिसे न्यूजीलैंड में पाया जाता था। यह एक विशालकाय वन्यप्राणी था जिसकी उंचाई लगभग 10 फुट तक होती थी। मॉ आओरिस के पैर काफ़ी लम्बे थे जो उसे दौड़ने के लिए अच्छी तरह से अनुकूली बनाते थे। इसके पंजे भी अद्भुत लम्बे और दाँत मोड़भेद वाले होते थे। मॉ आओरिस का समय बड़ी तेज़ी से समाप्त हो गया जब मानव ने न्यूजीलैंड पर आक्रमण किया और उसके इलाके को बसा लिया। विकसिती के लिए वन्यप्राणियों की मांसाहारी खाने की मांग ने मॉ आओरिस की संख्या में तेज़ी से कमी को लाया। अंततः, मॉ आओरिस को विलीन घोषित किया गया जब उसका अंत हो गया।मॉ आओरिस एक महत्वपूर्ण प्राचीन जन्तु थी जो न्यूजीलैंड के पूर्वी भाग में पाई जाती थी। इसकी संख्या में तेज़ी से कमी होने के कारण यह विलीन हो गई। इसके संबंध में शोध और विज्ञानिक अध्ययन हमें इस प्राकृतिक धरोहर के महत्व को समझने में मदद करते हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए भविष्य में बेहतर प्रबंधन की सीख देते हैं।


सेबरटूथ टाइगर (Saber-toothed Tiger) - पिछले ज्युरासिक युग, 

खाद्य उपलब्धता के कारण


सेबरटूथ टाइगर एक प्राचीन समय का भयानक जन्तु था, जिसे विशालकाय इलाकों में ढूंढा जाता था। इसकी विशेषता थी उसके विशाल दांत जो एक चाकू की तरह दिखते थे, जिससे इसे "सेबरटूथ" टाइगर कहा जाता है। सेबरटूथ टाइगर के विस्तारशील दांत उसके शिकार को चीरफाड़ करने में मदद करते थे। यह दांत जीवों को घातक चोट पहुंचा सकते थे जिससे उसका शिकार आसानी से मर जाता था। सेबरटूथ टाइगर की भूमिका विलीन हो जाने से बच्चों को उनकी जानकारी को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है। इसे भविष्य के लिए जीवनीय इतिहास के रूप में देखा जा सकता है जो हमें प्राकृतिक विकास की प्रक्रिया समझने में मदद करता है। सेबरटूथ टाइगर एक जलवायु संवेदी जन्तु था और इसके विलीन हो जाने से हमें प्राकृतिक संतुलन और पृथ्वी के इतिहास की महत्वपूर्ण सीख मिलती है।



सभाजीत (Thylacine) - 20वीं शताब्दी, 

अवैध शिकार के कारण


सभाजीत, जिसे हम थाइलासीन भी कहते हैं, यह एक अद्भुत प्राचीन जन्तु था जो पूर्वी आस्ट्रेलिया, टैस्मेनिया, और न्यू गिनी में आबाद था। इसकी विशेषता थी उसके पीछवाड़े पर तिल वाले बंदर की जैसा दिखना। इसलिए इसे "टैस्मेनियन टाइगर" भी कहते थे। सभाजीत की संख्या में तेजी से कमी हो गई जिसके कारण वह विलीन घोषित हो गया। इसका शिकार बढ़ गया और उसके विकसित होने वाले इलाकों को नुकसान पहुंचा। विलीन होने के बाद भी इसे बचाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं ताकि इसे पुनर्जीवित किया जा सके। सभाजीत एक बेहद महत्वपूर्ण प्राणी था जो एक समय में आस्ट्रेलिया की संतानों के लिए विशेष दर्जा रखता था। इसके विलीन हो जाने से हमारे पृथ्वी की प्राकृतिक धरोहर का अपना एक महत्वपूर्ण हिस्सा हमसे छीन गया। इसे बचाने के लिए हमें संगठित तरीके से काम करने और प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग करने की आवश्यकता है।


स्काइलार्क (Great Auk) - 19वीं शताब्दी, 

मानव विस्तार के कारण


स्काइलार्क, जिसे "ग्रेट ऑक" भी कहा जाता है, एक प्राचीन समय का अद्भुत उड़ने वाला पक्षी था, जो उत्तरी हेमिस्फेयर के उच्च उत्तरी भागों में पाया जाता था। यह एक भारी और गाढ़ी शरीर वाला पक्षी था जिसकी विशेषता थी उसकी चोटीदार पंखें और सफेद पेट वाले दिखने वाले प्राणी के रूप में। स्काइलार्क को उसकी अनुपस्थिति के कारण एक संकटग्रस्त प्राणी माना जाता है। इसे शिकार के लिए बेहद अनुकूली और उपभोग्य माना जाता था, जिसके कारण उसकी संख्या में तेजी से कमी हो गई। इसके परिणामस्वरूप, स्काइलार्क को विलीन घोषित किया गया है। यह पक्षी का संरक्षण एवं उसके बचाव में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है ताकि इसे पुनर्जीवित किया जा सके।


पियोपो (Pygopristis) - 21वीं शताब्दी, 

जालमुद्रा शिकार के कारण


पियोपो (Pygopristis): पियोपो एक बड़ा फिश है जो दक्षिण अमेरिका के अमेज़ॅन नदी और उसके सहायक नदियों में पाया जाता है। यह फिश सिल्वर-ग्रे रंग की होती है और उसके पूरे शरीर पर चमकीली धाराएँ होती हैं, जो उसे बहुत आकर्षक बनाती हैं। पियोपो एक शिकारी फिश होती है, जो छोटे फिश और क्रस्टेशियन्स को खाती है। यह फिश अमेज़ॅन नदी के पानी में खासे सामान्य रूप से पाई जाती थी, लेकिन अनियमित शिकारी और पर्यावरणीय बदलावों के कारण इसकी संख्या में कमी हो गई है। पियोपो के प्राकृतिक आवास के क्षतिग्रस्त होने से इसे विलीन घोषित किया गया है। इसे संरक्षित करने के लिए विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं ताकि इसकी संख्या में वृद्धि हो सके और इसे प्रकृति में बचाया जा सके।



क्वाग्गा (Quagga) - 19वीं शताब्दी, 

अवैध शिकार के कारण


क्वाग्गा एक प्राचीन समय का वन्यजीवी था, जो दक्षिण अफ्रीका के कुछ क्षेत्रों में पाया जाता था। यह एक सुंदर और अनोखे आकृति के प्राणी था जिसकी खाल पर शिकारी जैसे पट्टियां थीं। क्वाग्गा को एक प्रकार का जील जो स्ट्राइप नहीं था, माना जाता था। दुर्भाग्यवश, क्वाग्गा को बेरोजगारी शिकार के कारण इसकी संख्या में तेजी से कमी हो गई और इससे यह समाप्त हो गया। आज, क्वाग्गा एक लोकप्रिय प्राणी है जिसके बारे में विभिन्न शोध और संरक्षण के प्रयास हो रहे हैं ताकि इसे पुनर्जीवित किया जा सके।


टस्कारोरस (Tasmanian Tiger) - 20वीं शताब्दी, 

अनियंत्रित शिकार के कारण


टस्कारोरस, जिसे टायगर वान बोला जाता है, एक अद्भुत प्राचीन प्राणी था, जो तस्मेनिया, ऑस्ट्रेलिया के द्वीप पर पाया जाता था। यह एक चोटीदार वन्यजीवी था जिसकी विशेषता थी उसकी लम्बी चौड़ी पूंछ और शरीर पर संतरे जैसी सफेद पट्टियां। टस्कारोरस को टायगर वान बोला जाता था क्योंकि इसकी पूंछ और दाड़ी की वजह से वह टायगर जैसा दिखता था। क्योंकि टस्कारोरस के संख्या में कमी हो गई थी और उन्हें शिकार किया जा रहा था, इसलिए यह समाप्त हो गया। टस्कारोरस की समाप्ति ने जानवरों के संरक्षण के महत्व को समझने में मदद की है।


ब्लैक रायनो (Black Rhino) - 21वीं शताब्दी, 

वन्यजीवन नष्टि के कारण


ब्लैक रायनो एक बड़ा पांवधारी वन्यजीवी है, जो अफ्रीका के सवान्ना और वन्य क्षेत्रों में पाया जाता है। इसकी विशेषता है उसकी काली रंगीन खाल और दो बड़ी सींगों वाले दिखने वाले प्राणी के रूप में। ब्लैक रायनो को एक शक्तिशाली और संवेदनशील जानवर माना जाता है। खासतौर पर ब्लैक रायनों की संख्या में कमी होने के कारण और उन्हें बेरोजगारी शिकार के कारण इन्हें विलीन घोषित किया गया है। इसका संरक्षण एवं उनके बचाव में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है।


पैसेंजर पिजन (Passenger Pigeon) - 20वीं शताब्दी, 

बेहद समान्य शिकार के कारण


पैसेंजर पिजन एक प्राचीन समय का पिजन था, जो पूर्वी और मध्य उत्तरी अमेरिका में पाया जाता था। इसकी विशेषता थी उसकी विशालकाय झुलसने वाली पंख और आकर्षक दिखने वाली प्राणी के रूप में थी। पैसेंजर पिजन का झुलसने का समूह एक अद्भुत दृश्य था, जिसे देखने के लिए लोग दुनियाभर से आते थे। इस प्राचीन पिजन की लापरवाही और अधिक शिकार के कारण उसकी संख्या में तेजी से कमी हो गई और इससे यह समाप्त हो गया। पैसेंजर पिजन के समाप्त होने से जानवरों के संरक्षण के महत्व को समझने में एक महत्वपूर्ण पाठ सिखना चाहिए।


उत्तरी वाघ (Northern White Rhinoceros) - 21वीं शताब्दी, 

वन्यजीवन नष्टि के कारण


उत्तरी वाघ एक प्राचीन समय का वाघ (रायनोसेरस) था, जो अफ्रीका के सवान्ना क्षेत्र में पाया जाता था। इसकी विशेषता थी उसकी विशालकाय शरीर और दो बड़ी सींगों वाली दिखने वाले प्राणी के रूप में। यह वाघ अफ्रीका के सबसे बड़े भू-जीवी थे। क्योंकि उत्तरी वाघों की संख्या में कमी हो गई है और वे लगातार खतरे में हैं, इसलिए इन्हें अब समय के साथ विलीन घोषित किया गया है। इसे संरक्षण के लिए प्रयास किए जा रहे हैं ताकि यह अस्तित्व में रह सके।


समरोस (Steller's Sea Cow) - 18वीं शताब्दी, 

पर्वाह के लिए असमर्थता


समरोस एक प्राचीन समय का समुद्री गाय था, जो बेरिंग समुद्र में पाया जाता था। इसकी विशेषता थी उसकी विशालकाय शरीर और गाय के समान दिखने वाले प्राणी के रूप में। समरोस को अपने बड़े आकार के कारण शिकार नहीं होने पाने की वजह से लोगों ने इसकी खासतौर पर शिकार किया और इससे इसकी संख्या में कमी हो गई। खासतौर पर भारतीय नागरिकों को समरोस के विषय में जागरूक किया जाना चाहिए ताकि हम अपने पर्यावरण को संरक्षित रख सकें।


जावाँ वाघ (Javan Tiger) - 20वीं शताब्दी, 

वन्यजीवन नष्टि के कारण


जावाँ वाघ एक प्राचीन समय का बड़ा बिलाव और शिकार करने वाला प्राणी था, जो जावाँ द्वीप (इंडोनेशिया) के क्षेत्र में पाया जाता था। इसकी विशेषता थी उसकी विशालकाय शरीर, खूबसूरत खाल, और शक्तिशाली शेर जैसे दिखने वाले प्राणी के रूप में। जावाँ वाघ की संख्या में कमी के कारण और पर्यावरणीय परिवर्तनों के अभाव के कारण यह समाप्त हो गया।


कुराया (Quokka) - 21वीं शताब्दी, 

वन्यजीवन नष्टि के कारण


कुराया एक छोटे मूंह वाले मार्सुपियल प्राणी है, जो आस्ट्रेलिया के वेस्टर्न एंड द्वीप पर पाया जाता है। इसकी विशेषता है उसकी मुस्कान जो उसे मुखौटा जैसा दिखाती है और इसे "दिलफरोज" या "मुस्कानी बन्दर" के रूप में भी जाना जाता है। कुराया को विशेष रूप से आस्ट्रेलिया के टूरिस्ट आकर्षणों में शामिल किया गया है क्योंकि यह खासतौर पर देखने लायक, प्रिय, और अनुकूली प्राणी है। 


आयरिश ओरेयर (Irish Deer) - 7वीं शताब्दी, 

मानव विस्तार के कारण


आयरिश ओरेयर एक प्राचीन समय का हिरण था, जो आयरलैंड के क्षेत्र में पाया जाता था। इसकी विशेषता थी उसकी बड़ी शाखा वाली हॉर्न्स और भारी शरीर। आयरिश ओरेयर की संख्या में कमी के कारण और पर्यावरणीय परिवर्तनों के अभाव के कारण यह समाप्त हो गया है।


सिरियन वाघ (Syrian Elephant) - पिछले प्लेस्टोसीन युग, 

पर्वाह के लिए असमर्थता


सिरियन वाघ एक प्राचीन समय का हाथी था, जो पश्चिम एशिया के सीरिया और पर्सिया (वर्तमान ईरान) के क्षेत्र में पाया जाता था। इसकी विशेषता थी उसके विशालकाय शरीर और बड़ी हड्डियों वाली दिखने वाली प्राणी। सिरियन वाघ की संख्या में कमी के कारण और पर्यावरणीय परिवर्तनों के अभाव के कारण यह समाप्त हो गया है।


जवाँ आफ्रिकी वाघ (South African Cheetah) - 21वीं शताब्दी, 

वन्यजीवन नष्टि के कारण


जवाँ आफ्रिकी वाघ एक प्राचीन समय का जानवर है, जो दक्षिण अफ्रीका के क्षेत्र में पाया जाता था। इसकी विशेषता थी उसकी तेज़ गति, शक्तिशाली शरीर और धार्मिक दृष्टिकोन। जवाँ आफ्रिकी वाघ की संख्या में कमी के कारण और पर्यावरणीय परिवर्तनों के अभाव के कारण यह समाप्त हो गया है।


गोल्डन रैट कंगारू (Golden Rat Kangaroo) - 20वीं शताब्दी, 

मानव विस्तार के कारण


गोल्डन रैट कंगारू एक प्राचीन समय का पानी प्रेमी प्राणी था, जो ऑस्ट्रेलिया के क्षेत्र में पाया जाता था। इसकी विशेषता थी उसकी सुंदरता और गोल्डन रंग की फर वाली दिखने वाली प्रान्त। गोल्डन रैट कंगारू की संख्या में कमी के कारण और पर्यावरणीय परिवर्तनों के अभाव के कारण यह समाप्त हो गया।


स्विफ्ट लॉरेल सेरेसीस (Swift Loris Ceresius) - पिछले ज्युरासिक युग, 

पर्वाह के लिए असमर्थता


स्विफ्ट लॉरेल सेरेसीस एक प्राचीन समय का जलचर प्राणी था, जो पूर्वी एशिया के क्षेत्र में पाया जाता था। इसकी विशेषता थी उसकी तेज गति और सुंदर लॉरेल सेरेसीस में देखने में खूबसूरत रंगों का होना। स्विफ्ट लॉरेल सेरेसीस की संख्या में कमी के कारण और पर्यावरणीय परिवर्तनों के अभाव के कारण यह समाप्त हो गया।


वेस्ट जावाँ रिनो (Western Javan Rhino) - 21वीं शताब्दी, 

वन्यजीवन नष्टि के कारण


वेस्ट जावाँ रिनो एक प्राचीन समय का गैंडा था, जो पश्चिमी जावा द्वीप (इंडोनेशिया) के क्षेत्र में पाया जाता था। इसकी विशेषता थी उसकी विशालकाय शरीर और दो सीधी सींगों में। वेस्ट जावाँ रिनो की संख्या में कमी के कारण और पर्यावरणीय परिवर्तनों के अभाव के कारण यह समाप्त हो गया।


बारबरी लायन (Barbary Lion) - 20वीं शताब्दी, 

अनियंत्रित शिकार के कारण


बारबरी लायन एक प्राचीन समय का जंगली सिंह था, जो पहले मग़रिबी उपमहाद्वीप (नामीबिया, अल्जीरिया, मोरक्को, लीबिया, त्यूनीशिया) के क्षेत्र में पाया जाता था। इसकी विशेषता थी उसके विशालकाय शरीर और विकसित पंखों में। बारबरी लायन की संख्या में कमी के कारण और पर्यावरणीय परिवर्तनों के अभाव के कारण यह समाप्त हो गया।


ईवोरियन कोलोसस (Ivorian Colossus) - पिछले प्लेस्टोसीन युग, 

खाद्य उपलब्धता के कारण


ईवोरियन कोलोसस एक प्राचीन समय का विशालकाय प्राणी था, जो आईवरी कोस्ट (वर्तमान में कोट डीआईवोआर) के क्षेत्र में पाया जाता था। इसकी विशेषता थी उसके बड़े आकार और शक्तिशाली शरीर की वजह से लोगों को चकित कर देने वाला दृश्य। ईवोरियन कोलोसस की संख्या में कमी के कारण और पर्यावरणीय परिवर्तनों के अभाव के कारण यह समाप्त हो गया।


आंडमान अधमानव (Andaman Adamanth) - 18वीं शताब्दी, 

मानव विस्तार के कारण


आंडमान अधमानव एक प्राचीन समय का जीव था, जो आंडमान और निकोबार द्वीपसमूह के क्षेत्र में पाया जाता था। इसकी विशेषता थी उसके विशालकाय शरीर और आकर्षक रंगीन चेहरा। आंडमान अधमानव की संख्या में कमी के कारण और पर्यावरणीय परिवर्तनों के अभाव के कारण यह समाप्त हो गया।


चिलियन वाघ (Chilean Cougar) - 21वीं शताब्दी, 

वन्यजीवन नष्टि के कारण


चिलीयन वाघ एक प्राचीन समय का जानवर है, जो दक्षिण अमेरिका के चिली के क्षेत्र में पाया जाता था। इसकी विशेषता थी उसके बड़े शरीर और चिकनी फुर्तीले गतिविधियों में। चिलीयन वाघ की संख्या में कमी के कारण और पर्यावरणीय परिवर्तनों के अभाव के कारण यह समाप्त हो गया।



चाइनीज ड्रैगन (Chinese Dragon) - पिछले क्रेटेसियस युग, 

पर्वाह के लिए असमर्थता


चाइनीज ड्रैगन एक प्राचीन समय का पौराणिक प्राणी है, जो चीनी धरोहर में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसे चीनी संस्कृति में एक शक्तिशाली और सजीव जीवन देने वाला प्रतीक माना जाता है। चाइनीज ड्रैगन की चार पैरों वाली अद्भुत रचना और विभिन्न रंगों में उभरने वाली स्केल्स उसे विशेष बनाती है। चाइनीज ड्रैगन चीनी विश्वास में देवी शक्ति और समृद्धि का प्रतीक है। इसे विभिन्न पर्वों और त्योहारों पर उत्साह से मनाया जाता है। यह एक प्राचीन कला, संस्कृति और धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। हालांकि, विभिन्न कारणों से चाइनीज ड्रैगन की संख्या में कमी हो गई है और यह समाप्त होने की आशंका है।


ड्यानोसोर (Dinosaur) - 65 मिलियन वर्ष पहले, 

पर्वाह के लिए असमर्थता


डायनोसॉर एक प्राचीन समय का जीव था, जो पृथ्वी पर पहले रहा था। यह विशालकाय जन्तुओं में से एक था और पृथ्वी पर अधिकांश भू-भागों पर विचरण करता था। डायनोसॉर की संख्या में कमी के कारण और पर्यावरणीय परिवर्तनों के अभाव के कारण यह समाप्त हो गया।



नीदरलैंड वान स्टेन्बाक (Dutch Van Stenbak) - 18वीं शताब्दी, 

अनियंत्रित शिकार के कारण


नीदरलैंड वान स्टेन्बाक एक प्राचीन समय का पशु था, जो नीदरलैंड के क्षेत्र में पाया जाता था। इसकी विशेषता थी उसके खूबसूरत रंगों में और उसके शानदार पंखों में। नीदरलैंड वान स्टेन्बाक की संख्या में कमी के कारण और पर्यावरणीय परिवर्तनों के अभाव के कारण यह समाप्त हो गया।


जवाँ बाली तेंदुआ (Javan Bali Tiger) - 20वीं शताब्दी, 

वन्यजीवन नष्टि के कारण


जवाँ बाली तेंदुआ एक प्राचीन समय का बाघ था, जो जावा और बाली द्वीपसमूह के क्षेत्र में पाया जाता था। इस बाघ की विशेषता थी उसके सुंदर रंगों और विशाल पंखों में। जवाँ बाली तेंदुआ की संख्या में कमी के कारण और पर्यावरणीय परिवर्तनों के अभाव के कारण यह समाप्त हो गया।


इबेरियन लायन (Iberian Lion) - 20वीं शताब्दी, 

अवैध शिकार के कारण


इबेरियन लायन एक प्राचीन समय का सिंह था, जो इबेरिया ध्रुवीय क्षेत्र (हालांकि आजकल यह स्पेन और पुर्तगाल के भू-भाग में आता है) में पाया जाता था। इस सिंह की विशेषता थी उसके शक्तिशाली शरीर और विशाल मानवीय मानवीय शेर की प्रवृत्ति में। इबेरियन लायन की संख्या में कमी के कारण अवैध शिकार और पर्यावरणीय परिवर्तनों के अभाव के कारण यह समाप्त हो गया।


स्केट्च याक (Scotch Yak) - 19वीं शताब्दी, 

मानव विस्तार के कारण


स्केट्च याक एक प्राचीन समय का याक था, जो उत्तरी यूरोप और एशिया के क्षेत्र में पाया जाता था। यह याक अपने मोटे बालों और विशालकाय शरीर के लिए जाना जाता था। स्केट्च याक की संख्या में कमी के कारण और पर्यावरणीय परिवर्तनों के अभाव के कारण यह समाप्त हो गया।


फिजीयन बनाम्बुल (Fijian Bumblebee) - 21वीं शताब्दी, 

जलवायु परिवर्तन के कारण


फिजीयन बनाम्बुल एक प्राचीन समय की मक्खी थी, जो फिजी के क्षेत्र में पाई जाती थी। इसकी विशेषता थी उसके सुंदर रंगों और मोटे शरीर में, जो इसे आकर्षक बनाते थे। फिजीयन बनाम्बुल की संख्या में कमी के कारण और पर्यावरणीय परिवर्तनों के अभाव के कारण यह समाप्त हो गई।


वेस्ट आफ्रिकी वाघ (West African Lion) - 21वीं शताब्दी, 

वन्यजीवन नष्टि के कारण


वेस्ट आफ्रिकी वाघ एक प्राचीन समय का सिंह था, जो पश्चिमी अफ्रीका के क्षेत्र में पाया जाता था। यह सिंह अपनी शक्तिशाली दिखने वाली विशालकाय शरीर और दिलचस्प शेरों की धाराओं में विशेष था। वेस्ट आफ्रिकी वाघ की संख्या में कमी के कारण और पर्यावरणीय परिवर्तनों के अभाव के कारण यह समाप्त हो गया।


स्कोटिश वान फिश (Scottish Van Fish) - 19वीं शताब्दी, 

जलवायु परिवर्तन के कारण


स्कोटिश वान फिश एक प्राचीन समय का मछली था, जो स्कॉटलैंड के क्षेत्र में पाया जाता था। इसकी विशेषता थी उसके सुंदर रंगों में और इसके सजीव दिखने वाले पंखों में। स्कोटिश वान फिश की संख्या में कमी के कारण और पर्यावरणीय परिवर्तनों के अभाव के कारण यह समाप्त हो गया।


ब्रिटिश रेन्टायर (British Rented Tyr) - 18वीं शताब्दी, 

अनियंत्रित शिकार के कारण


ब्रिटिश रेन्टायर एक प्राचीन समय का पक्षी था, जो ब्रिटिश द्वीपसमूह के क्षेत्र में पाया जाता था। इसकी विशेषता थी उसके आकर्षक रंगों में और उसके विशाल पंखों में। ब्रिटिश रेन्टायर की संख्या में कमी के कारण अनियंत्रित शिकार और पर्यावरणीय परिवर्तनों के अभाव के कारण यह समाप्त हो गया।


युगोस्लाविया वान चिकन (Yugoslavia Van Chicken) - 20वीं शताब्दी, 

अनियंत्रित शिकार के कारण


युगोस्लाविया वान चिकन एक प्राचीन समय का मुर्गा था, जो युगोस्लाविया के क्षेत्र में पाया जाता था। इसकी विशेषता थी उसके सुंदर रंगों में और मुड़े हुए पंखों में। युगोस्लाविया वान चिकन की संख्या में कमी के कारण उसका अनियंत्रित शिकार और पर्यावरणीय परिवर्तनों के अभाव के कारण यह समाप्त हो गया।


समरोसियन लिटल स्क्विर्रल (Samrosian Little Squirrel) - 21वीं शताब्दी, 

मानव विस्तार के कारण


समरोसियन लिटल स्क्विर्रल एक प्राचीन समय का छोटा गिलहरी था, जो समरोसिया के क्षेत्र में पाया जाता था। इसकी विशेषता थी उसके छोटे आकार और चमकदार फुर्तीले गतिविधियों में। समरोसियन लिटल स्क्विर्रल की संख्या में कमी के कारण और पर्यावरणीय परिवर्तनों के अभाव के कारण यह समाप्त हो गया।


आइरिश एल्क (Irish Elk) - 7वीं शताब्दी, 

अवैध शिकार के कारण


आइरिश एल्क एक प्राचीन समय का बारहसिंगा था, जो आयरलैंड के क्षेत्र में पाया जाता था। इसकी विशेषता थी उसके विशालकाय शरीर और विशाल शिखर वाले शीश के कारण जिससे यह बारहसिंगों में अद्भुत दिखता था। आइरिश एल्क की संख्या में कमी अवैध शिकार के कारण और पर्यावरणीय परिवर्तनों के अभाव के कारण यह समाप्त हो गया।


वेस्ट इंडियन मंकी (West Indian Monkey) - 18वीं शताब्दी, 

अनियंत्रित शिकार के कारण


वेस्ट इंडियन मंकी एक प्राचीन समय का बंदर था, जो पश्चिमी इंडियन राज्यों में पाया जाता था। इसकी विशेषता थी उसके चुपचापी और शरारती व्यवहार में। वेस्ट इंडियन मंकी की संख्या में कमी के कारण और पर्यावरणीय परिवर्तनों के अभाव के कारण यह समाप्त हो गया।


ग्रीक वान कोकरल (Greek Van Cockeral) - 19वीं शताब्दी, 

अनियंत्रित शिकार के कारण


ग्रीक वान कोकरल एक प्राचीन समय का मुर्गा था, जो ग्रीस के क्षेत्र में पाया जाता था। इसकी विशेषता थी उसके सुंदर रंगों में और मुड़े हुए पंखों में, जो इसे आकर्षक बनाते थे। ग्रीक वान कोकरल की संख्या में कमी के उसके अनियंत्रित शिकार के कारण और पर्यावरणीय परिवर्तनों के अभाव के कारण यह समाप्त हो गया।


नाइजीरियन वान टर्टल (Nigerian Van Tortoise) - 20वीं शताब्दी, 

मानव विस्तार के कारण


नाइजीरियन वान टर्टल एक प्राचीन समय का कछुआ था, जो नाइजीरिया के क्षेत्र में पाया जाता था। इसकी विशेषता थी उसके मजबूत कटिबंध (शैली) और विशाल आकार । नाइजीरियन वान टर्टल की संख्या में कमी के कारण और पर्यावरणीय परिवर्तनों के अभाव के कारण यह समाप्त हो गया।


वेस्ट आस्ट्रेलिया वान माउस (West Australian Van Mouse) - 19वीं शताब्दी, 

पर्यावरणीय परिवर्तनों के अभाव के कारण


वेस्ट आस्ट्रेलिया वान माउस एक प्राचीन समय का चूहा था, जो पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के क्षेत्र में पाया जाता था। इसकी विशेषता थी उसके छोटे आकार और विविध रंगों में, जो इसे अद्भुत बनाते थे। वेस्ट आस्ट्रेलिया वान माउस की संख्या में कमी के कारण और पर्यावरणीय परिवर्तनों के अभाव के कारण यह समाप्त हो गया।


सोवियत वान एल्क (Soviet Van Elk) - 20वीं शताब्दी, 

अनियंत्रित शिकार के कारण


सोवियत वान एल्क एक प्राचीन समय का हिरण था, जो सोवियत संघ के भू-भाग में पाया जाता था। इसकी विशेषता थी उसके मजबूत शरीर व इसकी लचीली टांगें, जो इसे दौड़ते वक्त सुसंगतता देते थे। सोवियत वान एल्क की संख्या में कमी के कारण अनियंत्रित शिकार के और पर्यावरणीय परिवर्तनों के अभाव के कारण यह समाप्त हो गया।


जावाँ अंडोरा स्क्विर्रल (Javan Andorra Squirrel) - 21वीं शताब्दी, 

मानव विस्तार के कारण


जावाँअंडोरा स्क्विर्रल एक प्राचीन समय का गिलहरी था, जो जावाँ द्वीप के अंडोरा खंड में पाया जाता था। इसकी विशेषता थी उसके फुर्तीले गतिविधियों और चहचहाने वाली आवाज़ से। जवाँ अंडोरा स्क्विर्रल की संख्या में कमी के कारण और पर्यावरणीय परिवर्तनों के अभाव के कारण यह समाप्त हो गया।



बार्बेडियन वान कोकरल (Barbadian Van Cockeral) - 20वीं शताब्दी, 

अनियंत्रित शिकार के कारण


बार्बेडियन वान कोकरल एक प्राचीन समय का मुर्गा था, जो बारबेडियन द्वीपसमूह के क्षेत्र में पाया जाता था। इसकी खासियत थी उसके सुंदर रंगों और मुड़े हुए पंखों की वजह से वह आकर्षक दिखता था। अनियंत्रित शिकार के कारण बार्बेडियन वान कोकरल की संख्या में कमी और पर्यावरणीय परिवर्तनों के अभाव के कारण यह समाप्त हो गया।


सख़ाई स्टेगोसोरस (Sakhai Stegosaurus) - पिछले क्रेटेसियस युग, 

पर्वाह के लिए असमर्थता


सख़ाई स्टेगोसोरस एक प्राचीन समय का जन्तु था, जो पिछले क्रेटेसियस युग में मौजूद था। यह पृथ्वी पर सबसे भारी जीवित जन्तु में से एक था। इसकी विशेषता थी उसकी विशालकाय शरीर और पंखों के ऊपर उठे छोटे गांठों की वजह से वह सुरक्षित रहता था। परंतु जीवनी परिवर्तन और अन्य कारणों के कारण सख़ाई स्टेगोसोरस का समाप्त हो गया।


ईस्ट तस्मानियन टायगर (East Tasmanian Tiger) - 20वीं शताब्दी, 

अनियंत्रित शिकार के कारण


ईस्ट तस्मानियन टायगर एक प्राचीन समय का जानवर था, जो पूर्वी तस्मानिया के क्षेत्र में पाया जाता था। इसकी विशेषता थी उसके अलग-अलग रंगों और बड़े पैरों में, जो इसे दौड़ते वक्त तेज़ी से भागने में मदद करते थे। ईस्ट तस्मानियन टायगर की संख्या में कमी के कारण और मानव विस्तार के अभाव के कारण यह समाप्त हो गया।


कैलिफोर्नियन वान डक (Californian Van Duck) - 19वीं शताब्दी, 

अनियंत्रित शिकार के कारण


कैलिफोर्नियन वान डक एक प्राचीन समय का बतख था, जो कैलिफोर्निया के क्षेत्र में पाया जाता था। इसकी विशेषता थी उसके विविध रंगों में और वाटरप्रूफ पंखों में, जिससे यह जलीय क्षेत्रों में अच्छी तरह तैर सकता था। कैलिफोर्नियन वान डक की संख्या में कमी के कारण और पर्यावरणीय परिवर्तनों के अभाव के कारण यह समाप्त हो गया।


इंग्लिश मेसोजॉसीक (English Mesozoic) - पिछले ज्युरासिक युग, 

पर्वाह के लिए असमर्थता


इंग्लिश मेसोजॉसिक एक प्राचीन समय का युग था, जिसमें धरती पर विभिन्न प्राचीन जीवित जन्तु रहते थे। यह युग क्रेटेसियस और जुरासिक के बाद होता है और ट्रायासिक के पहले अवधि को संदर्भित करता है। मेसोजॉसिक युग में धरती पर विभिन्न वन्यजीवनी जीवन था, जिनमें डायनोसोर, प्लेसियोसोरस, और टेरोडॉक्स जैसे जानवर शामिल थे।


लॉरेल रेकोन (Loris Reckon) - 21वीं शताब्दी, 

मानव विस्तार के कारण


लॉरेल रेकोन एक प्राचीन समय का जन्तु था, जो अपने वन्यजीवन के लिए प्रसिद्ध था। इसकी विशेषता थी उसके चुपचाप और अल्पकाय शरीर में रहने की क्षमता। ये जीव अपनी चाल और अद्भुत जानवरी धरोहर के लिए भी जाने जाते थे। परंतु मानव विस्तार और वन्यजीवन की नष्टि के कारण लॉरेल रेकोन समाप्त हो गया।


वेस्ट अफ्रिकी वान बैट (West African Van Bat) - 20वीं शताब्दी, 

अनियंत्रित शिकार के कारण

बैट एक प्राचीन समय का चमगादड़ था, जो पश्चिमी अफ्रीकी क्षेत्रों में पाया जाता था। इसकी विशेषता थी उसके विशालकाय शरीर और वायुमंडल में उड़ने की क्षमता। ये वान बैट वन्यजीवन की नष्टि और पर्वाह के लिए असमर्थता के कारण समाप्त हो गया।




ग्रीनलैंड वान पेंग्विन (Greenland Van Penguin) - 21वीं शताब्दी, 

जलवायु परिवर्तन के कारण


ग्रीनलैंड वान पेंग्विन एक प्राचीन समय का पेंग्विन था, जो ग्रीनलैंड के आसपास के वनों में पाया जाता था। इसकी खासियत थी उसके सुंदर पंखों और विशेष धरोहर के लिए। ग्रीनलैंड वान पेंग्विन की संख्या में कमी के कारण और पर्यावरणीय परिवर्तनों के अभाव के कारण यह समाप्त हो गया।


जावां वन जैस्मिन (Javan Van Chameleon) - 20वीं शताब्दी, 

अनियंत्रित शिकार के कारण


जावां वन जैस्मिन एक प्राचीन समय का जन्तु था, जो जावाँ द्वीप के वनों में पाया जाता था। इसकी विशेषता थी उसके बदलते रंगों की क्षमता जिसके द्वारा यह अपने पर्यावरण से मिलते जुलते बन जाता था। यह जावां वन जैस्मिन अनियंत्रित शिकार के कारण, वन्यजीवन की नष्टि और पर्वाह के लिए असमर्थता के कारण समाप्त हो गया।


वेस्ट इंडियन वान बटरफ्लाई (West Indian Van Butterfly) - 19वीं शताब्दी, 

वन्यजीवन नष्टि के कारण


वेस्ट इंडियन वान बटरफ्लाई एक प्राचीन समय की तितली थी, जो पश्चिमी भारतीय द्वीपसमूह में पाई जाती थी। इनकी खासियत थी उनके सुंदर पंखों और विविध रंगों में। ये वान बटरफ्लाई वन्यजीवन की नष्टि और पर्वाह के लिए असमर्थता के कारण समाप्त हो गई।


बोलिवियाई वान कैट (Bolivian Van Cat) - 20वीं शताब्दी, 

वन्यजीवन नष्टि के कारण


बोलिवियाई वैन कैट प्राचीन काल में दक्षिण अमेरिका के बोलिविया में पाई जाती थी। ये कैट विशेष खूबसूरत दिखावट और विविध रंगों के लिए जानी जाती थी। इन्हें उनके सुंदर फर के लिए भी मशहूरत मिली थी। परंतु जलवायु परिवर्तन और पर्वाह के लिए असमर्थता के कारण, बोलिवियाई वैन कैट की संख्या में कमी हो गई और अंततः ये समाप्त हो गई।


सख़ाई ब्रचियोसोरस (Sakhai Brachiosaurus) - पिछले क्रेटेसियस युग, 

पर्वाह के लिए असमर्थता


सख़ाई ब्रैकियोसॉरस प्राचीन काल में पृथ्वी पर रहने वाले सबसे बड़े जीवित जन्तुओं में से एक थे। ये ब्रैकियोसॉरस विशेष लंबे गले और पैरों के लिए प्रसिद्ध थे। इन्हें उनके विशालकाय और भारी शरीर के लिए जाना जाता था। परंतु समय के साथ, वन्यजीवन की नष्टि और पर्वाह के लिए असमर्थता के कारण सख़ाई ब्रैकियोसॉरस हो गए।


ईस्ट तस्मानियन वान बिल (East Tasmanian Van Bill) - 20वीं शताब्दी, 

वन्यजीवन नष्टि के कारण


ईस्ट टास्मानियन वैन बिल प्राचीन काल में ऑस्ट्रेलिया के तस्मानिया द्वीप के पूर्वी क्षेत्रों में पाई जाती थी। ये वैन बिल विशेष रंगीन पंखों और खूबसूरत दिखावट के लिए जानी जाती थी। परंतु वन्यजीवन नष्टि के कारण, जलवायु परिवर्तन और पर्वाह के लिए असमर्थता के कारण, ईस्ट टास्मानियन वैन बिल की संख्या में कमी हो गई और अंततः ये समाप्त हो गई।


वेस्ट गर्मान वान लिज़ार्ड (West German Van Lizard) - 19वीं शताब्दी, 

अनियंत्रित शिकार के कारण


वेस्ट जर्मन वान जिलर्ड प्राचीन काल में पश्चिमी जर्मनी के क्षेत्रों में पाए जाते थे। ये जिलर्ड विशेष आकृति और शक्तिशाली पैरों के साथ थे। इन्हें उनकी खूबसूरती और विचित्र गतिविधियों के लिए जाना जाता था। परंतु इनके आकर्षक शरीर को देखते हुए इनका शिकार बढ़ता गया और इसी  के कारण, वेस्ट जर्मन वान जिलर्ड का समाप्त हो जाना अपेक्षित हो गया।


इंग्लिश प्लेसियोसोरस (English Pleiosaurus) - पिछले ज्युरासिक युग, 

पर्वाह के लिए असमर्थता


इंग्लिश प्लेसियोसोरस प्राचीन काल में भू-भागों पर पाए जाने वाले एक प्राचीन समुद्री जीवाशी थे। ये प्लेसियोसोरस विशेष बड़े शरीर और लंबी गर्दन के साथ थे। इन्हें अपनी विचित्र शक्ति और रंगीन पंखों के लिए जाना जाता था। परंतु पर्वाह के लिए असमर्थता, जलवायु परिवर्तन और समुद्री जीवन की नष्टि के कारण, इंग्लिश प्लेसियोसोरस का समाप्त हो जाना अपेक्षित हो गया।


वेस्ट आस्ट्रेलिया वान वॉलेबी (West Australian Van Wallaby) - 21वीं शताब्दी, 

मानव विस्तार के कारण


वेस्ट ऑस्ट्रेलियन वान वॉलेबी प्राचीन काल में पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के वनों में पाया जाता था। ये वान वॉलेबी छोटे स्तनों और मधुर आकार के लिए प्रसिद्ध थे। परंतु जलवायु परिवर्तन और पर्वाह के लिए असमर्थता के कारण और मानव विस्तार के कारण वेस्ट ऑस्ट्रेलियन वान वॉलेबी की संख्या में कमी हो गई और अंततः ये समाप्त हो गए।


एक्वाटोरियल वान जानवर (Equatorial Van Animal) - 20वीं शताब्दी, 

जलवायु परिवर्तन के कारण


एक्वाटोरियल वान जानवर प्राचीन काल में विभिन्न भू-भागों पर पाए जाते थे जो भूमध्यरेखीय इलाकों में स्थित होते थे। ये जानवर विविध आकार और रंगों के लिए प्रसिद्ध थे। लेकिन जलवायु परिवर्तन और पर्वाह के लिए असमर्थता के कारण, एक्वाटोरियल वान जानवर की संख्या में कमी हो गई और अंततः ये समाप्त हो गए।


जावाँ वान मंकी (Javan Van Monkey) - 19वीं शताब्दी, 

वन्यजीवन नष्टि के कारण


जावाँ वान मंकी प्राचीन काल में जावाँ द्वीप के पश्चिमी क्षेत्रों में पाई जाती थी। ये मंकी विशेष आकृति और छोटे स्तन के लिए जाने जाते थे। परंतु वन्यजीवन की नष्टि और पर्वाह के लिए असमर्थता के कारण, जवाँ वान मंकी का समाप्त हो जाना अपेक्षित हो गया।



वेस्ट ग्रीक वान कोकरल (West Greek Van Cockeral) - 21वीं शताब्दी, 

जलवायु परिवर्तन के कारण

वेस्ट ग्रीक वान कोकरल प्राचीन काल में यूरोप के पश्चिमी ग्रीस में पाये जाने वाले एक प्राणी थे। ये कोकरल विशेष रंगीन पंखों और विविध ध्वनियों के लिए जाने जाते थे। परंतु वन्यजीवन की नष्टि और पर्वाह के लिए असमर्थता के कारण, वेस्ट ग्रीक वान कोकरल का समाप्त हो जाना अपेक्षित हो गया।



बार्बेडियन वान बैट (Barbadian Van Bat) - 20वीं शताब्दी, 

अनियंत्रित शिकार के कारण

बार्बेडियन वैन बैट प्राचीन काल में बार्बाडोस द्वीपसमूह में पाए जाने वाले एक प्राणी थे। ये बैट विशेष वायुमंडलीय चलने और रात में शिकार करने के लिए जाने जाते थे। इन्हें उनके समर्थन और अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण बताया जाता था। परंतु जलवायु परिवर्तन और पर्वाह के लिए असमर्थता के कारण, बार्बेडियन वैन बैट की संख्या में कमी हो गई और अंततः ये समाप्त हो गए।


चीनी सरोवर मछली (Chinese Sarovar Fish) - 19वीं शताब्दी, 

मानव विस्तार के कारण


चीनी सरोवर मछली प्राचीन काल में चीन के सरोवरों में पाई जाती थी। इस मछली की खूबसूरत दिखावट और विशेष आकार के कारण इसे बहुत पसंद किया जाता था। परंतु जलवायु परिवर्तन और पर्वाह के लिए असमर्थता के कारण, चीनी सरोवर मछली की संख्या में कमी हो गई और अंततः ये समाप्त हो गई।


ग्रीक वान बिल (Greek Van Bill) - 21वीं शताब्दी, 

अनियंत्रित शिकार के कारण


ग्रीक वान बिल (Greek Van Bill): ग्रीक वान बिल प्राचीन काल में यूरोप के ग्रीस में पाए जाने वाले एक प्राणी थे। ये वान बिल विशेष दिखावटी पंखों और मनमोहक रंगों के लिए जाने जाते थे। परंतु अनियंत्रित शिकार के कारण, ग्रीक वान बिल की संख्या में कमी हो गई और अंततः ये समाप्त हो गए।


सख़ाई टाईटानोसोरस (Sakhai Titanosaurus) - पिछले क्रेटेसियस युग, 

पर्वाह के लिए असमर्थता


सख़ाई टाईटानोसोरस प्राचीन काल में धरती पर पाए जाने वाले सबसे भारी जीवित जन्तु में से एक थे। ये बड़े शरीर और विशालकाय थे जिनके पास विशेष शिकार करने की क्षमता थी। परंतु समय के साथ, वन्यजीवन की नष्टि और पर्वाह के लिए असमर्थता के कारण सख़ाई टाईटानोसोरस को समाप्त होना पड़ा।


ईस्ट टास्मानियन वान बटरफ्लाई (East Tasmanian Van Butterfly) - 20वीं शताब्दी, 

वन्यजीवन नष्टि के कारण


ईस्ट टास्मानियन वैन बटरफ्लाई प्राचीन समय में आस्ट्रेलिया के टास्मानिया द्वीप के पूर्वी हिस्से में पाई जाती थी। ये बटरफ्लाई विशेष रंगों और विकीर्ण संरचना के साथ प्रसिद्ध थी। वन्यजीवन की नष्टि और पर्वाह के लिए असमर्थता के कारण ईस्ट टास्मानियन वैन बटरफ्लाई का समाप्त हो जाना अपेक्षित हो गया।


वेस्ट जर्मन वान रियासोरस (West German Van Riasaurus) - 19वीं शताब्दी, 

अनियंत्रित शिकार के कारण


वेस्ट जर्मन वैन रियासोरस प्राचीन काल में पश्चिमी जर्मनी में पाये जाते थे। ये रियासोरस वान्यजीवी थे जिनके बड़े शरीर, विशेषकर लंबे गले और पूरे शरीर में छाती के ऊपर की एक पट्टी थी। इन्हें वन्यजीवन की नष्टि और पर्वाह के लिए असमर्थता और शिकार के कारण ये वेस्ट जर्मन वैन रियासोरस समाप्त हो गए।

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