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बजरंग पुनिया के पत्तन की कहानी | बजरंग पुनिया का घमंड उसे ले बैठा | घमंड का सर नीचा

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जड़ों में बैठकर आकाश हथियाने चले थे  कुछ लोग जीत का विश्वास आजमाने चले थे छोटे परिंदे भी चीर देते हैं सीना आसमान का  भूलकर औकात झूट का परचम लहराने चले थे जीत कर लौटते तो भूल जाता जमाना गुनाह तेरे फूंके कारतूस देखो दुनिया को डराने चले थे   एशियन गेम्स में मिली करारी हार के बाद बजरंग पुनिया के समर्थन में उस के हिमायती व आंदोलनजीवी फिर से एक बार सामने आ रहे हैं । लगातार बताया जा रहा है के बजरंग भारत का हीरा है और बजरंग ने भारत के लिए कुश्ती में 21 मेडल्स लाने की बात कर रहे हैं जिसमें 7 गोल्ड मैडल हैं | आपको बता दे हाल ही में बजरंग पुनिया को एशियन खेलों में पैंसठ किलो भार वर्ग में करारी हार का सामना करना पड़ा है , इसे मात्र हार कहना हार का अपमान करने जैसा होगा यह मात्र हार नही है यह उस घमंड का चकनाचूर होना कहलाएगा जिसे बजरंग पुनिया वरिष्ठ खिलाड़ी होने को लेकर पाल बैठा था ।  बजरंग पुनिया को लगता था की आंदोलन से अर्जित किए गए उनके अनुभव से किसी भी देश के खिलाड़ी को चित्त किया जा सकता है । बजरंग को लगता था के किसानों के आंदोलन में खड़े होकर सूरजमुखी का MSP दिलवाना उसको एशिय...

"हरियाणा कविता: हरियाणा की धरोहर, सांस्कृतिक गौरव | लेखक: दीप जांगड़ा"

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**************** हरियाणा***************** हरियाणा मैं जन्म दिया तनै धन धन जननी माई कण कण मैं दिखै राम मनै छंद छंद मैं कविताई हरी की भूमि कहलाया तो मिल्या नाम हरियाणा जी छैल छबीले माणस सैं आडै दूध दही का खाणा जी आये गए कि इज्जत सै म्हारा सीधा सादा बाणा जी ज्ञान की बात करैं सारे आडै बुड्ढा हो चाहे स्याणा जी होक्के पै पंचात बैठ जया रीत सदा चली आई कण कण मैं दिखै राम मनै छंद छंद मैं कविताई गंठे गैल्यां रोटी खा लयाँ ना रीस करां हम खाणे की दुनिया मैं पूरी चौधर सै किते बूझ लियो हरियाणे की खेल सै कुश्ती और कब्बडी गात तोड़ दें याणे की खाड़यां मैं म्हारे छैल गाभरु माटी कर दें स्याणे की देश विदेश मैं गाडे सैं लठ खेलां मैं सै खूब चढ़ाई कण कण मैं दिखै राम मनै छंद छंद मैं कविताई सारे दुनिया मैं नां बोल्लै सै दादा लख्मीचंद बामण का किते नही पावै दुनिया मैं तीज त्यौहार यो साम्मण का नही पहरावा मिलै किते भी बावन गज के दाम्मण का ठंडी छाँ बरगे माणस ज्यूकर पेड़ होवै सै जाम्मण का हरदम बॉर्डर पै खड़े रहैं म्हारे सब तै घणे सिपाई कण कण मैं दिखै राम मनै छंद छंद मैं कविताई सांग रागणी के किस्से...