बजरंग पुनिया के पत्तन की कहानी | बजरंग पुनिया का घमंड उसे ले बैठा | घमंड का सर नीचा
जड़ों में बैठकर आकाश हथियाने चले थे
कुछ लोग जीत का विश्वास आजमाने चले थे
छोटे परिंदे भी चीर देते हैं सीना आसमान का
भूलकर औकात झूट का परचम लहराने चले थे
जीत कर लौटते तो भूल जाता जमाना गुनाह तेरे
फूंके कारतूस देखो दुनिया को डराने चले थे
एशियन गेम्स में मिली करारी हार के बाद बजरंग पुनिया के समर्थन में उस के हिमायती व आंदोलनजीवी फिर से एक बार सामने आ रहे हैं । लगातार बताया जा रहा है के बजरंग भारत का हीरा है और बजरंग ने भारत के लिए कुश्ती में 21 मेडल्स लाने की बात कर रहे हैं जिसमें 7 गोल्ड मैडल हैं |
आपको बता दे हाल ही में बजरंग पुनिया को एशियन खेलों में पैंसठ किलो भार वर्ग में करारी हार का सामना करना पड़ा है , इसे मात्र हार कहना हार का अपमान करने जैसा होगा यह मात्र हार नही है यह उस घमंड का चकनाचूर होना कहलाएगा जिसे बजरंग पुनिया वरिष्ठ खिलाड़ी होने को लेकर पाल बैठा था ।
बजरंग पुनिया को लगता था की आंदोलन से अर्जित किए गए उनके अनुभव से किसी भी देश के खिलाड़ी को चित्त किया जा सकता है ।
बजरंग को लगता था के किसानों के आंदोलन में खड़े होकर सूरजमुखी का MSP दिलवाना उसको एशियन खेलों में यह सोचकर गोल्ड मेडल का हकदार बना देगा जिसकी शायद विख्यात पहलवान खेलकर भी कामना नही कर पाते या हासिल नहीं कर पाते ।
बजरंग को लगता था की जूनियर खिलाड़ियों के शोषण के झूठे मुकदमों से उन्हें एशियन गेम्स में खूब ख्याति मिलेगी व यह देखते हुए एशियन गेम्स की मैनेजमेंट गोल्ड मेडल उनके लिए रिजर्व रख देगी और खेल सिर्फ सिल्वर मेडल के लिए खेले जाएंगे ।
शायद बजरंग पुनिया को यह भी लगता था की जो खाप पंचायत पहलवानों के फर्जी आंदोलन में उनके साथ खड़ी थी वह अब चीन में एशियन गेम्स में मेडल ना ला पाने की सूरत में अपने आप चीन के शहरों में आंदोलन करेंगी ।
और बजरंग पुनिया को जिस किसान संघ व किसान नेता का समर्थन मिला है वह भी अपने चार लाख ट्रैक्टर्स में डीजल भरवा कर सीधे चीन पर चढ़ाई कर एशियाई खेलों के मैदान का घेराव कर सीधे चीन से सारे भूतकाल व भविष्य के सभी मेडल छीन लायेंगे ।
यह तो हुआ बजरंग पुनिया का वहम, वैसे अभी तक ऐसी कोई मेडिकल सुविधा नहीं हुई जिसमें वहम का इलाज हो, परंतु हो सकता है भविष्य में किसान नेता,खाप पंचायत, फर्जी समाज सेवक और ये आंदोलनजीवी कोई ऐसी तकनीक इजात कर लें जिससे बहम का इलाज होना शुरू हो जाए ।
हर कोई इस बात को मानता है के बजरंग पुनिया एक अच्छा खिलाड़ी था, मैने यहां था शब्द इसीलिए इस्तेमाल किया है क्योंकि बजरंग से पहले भी काफी अच्छे खिलाड़ी रह चुके हैं, समय हमेशा किसी एक का नही रहता। भारतीय कुश्ती संघ को खत्म करवाकर और हरियाणा की फेडरेशन को भंग करवाना और इलेक्शन ना होने देकर सिर्फ अधोक कमेटी के दम पर बिना ट्रायल के एशियन गेम्स खेलने जाना, कौनसी महानता का कार्य है, अगर मैदान में या भार वर्ग में कोई दूसरा खिलाड़ी ही नही होता हो मान लेते की बजरंग ही दावेदार है । परंतु विशाल कालीरमण ने जब ट्रायल के चारों चरण जीते थे और एशियन गेम्स के लिए क्वालीफाई किया था तो नीच बजरंग को एशियन गेम्स खेलने का अधिकार किसने दिया ? अधौक कमेटी ने जो बजरंग पुनिया और धरनाजिवी गैंग की कटपुतली है ये बात भी पूरा देश जानता है । यह कमेटी और बजरंग पुनिया के सभी हिमायती उस वक्त कहां थे जब विशाल कालीरमण रो रो कर ललकार रहा था के बजरंग पुनिया आ मुझसे लड़ मुझे हराकर एशियन गेम्स खेलने चला जा ।
धरना देने के नाम पर 1 हजार लड़कियों का शोषण बोला तुमने पूरा देश मान गया लेकिन जैसे जैसे परतें खुलती गई तुम लोग अपना ही ड्रामा करते रहे ।
भाई ऐसा है आप हारे नही हो आपको तो धोया है बढ़िया तरीके से बिलकुल जमा के आपको और आपके हिमातियों को सफाई देते समय शर्म आनी चाहिए ।
बात करता है |
घमंड तो भाई साहब रावण सरीखे सिद्ध पुरुष का नही रहा उसकी भी बुद्धि होनी ने फेर दी थी तेरा तो सौदा ही के है ।
शायद देश की आंख खुलें और इन चमन चू.... को समझे समाज । इसी आशा के साथ बहुत बढ़िया बात ।
जय हिंद।
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