मोहताज
अजी सिमटे से अल्फ़ाज़ हुए हैं बाबूजी पैसे पैसे को मोहताज हुए हैं बाबू जी दिल की दौलत चलती नही बाज़ारों में वैसे तो हम भी महाराज हुए हैं बाबू जी
अरे ज़ख्म हमारे साज हुए हैं बाबू जी
दर्द बेचते फिरते हैं जरा गौर कीजियेगा
कुछ नए नए आगाज हुए हैं बाबू जी
चिड़ियों के झुंड ने मार गिराया है हमको
और हम कागजों में बाज हुए हैं बाबू जी
कल ख़ुशी खोजने पहुंचे थे मयखानों में
लो आज दर्दों के हमराज हुए हैं बाबू जी
उम्मीद से ज्यादा समझा जिनको अपना
अरे बदले उनके अंदाज हुए हैं बाबू जी
हम थे मुसाफ़िर शब्दों के जी आज तलक
अब नफरत के सरताज हुए हैं बाबू जी
जज्बातों से भर कर रखते हैं शब्दों को
बस ये मर्ज़ ही लाइलाज़ हुए हैं बाबू जी
गीतों में तो संस्कार बहुत मिल जाते हैं
नंगे जिस्मों के रिवाज हुए हैं बाबू जी
नही अमीरी मिलती दिल की दुनिया में
सब दौलत के मोहताज़ हुए हैं बाबू जी
एक रोटी को दस देने वाले मिल जाते हैं
और दुनिया को नाज़ हुए हैं बाबू जी
दीप जांगड़ा
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