अत्याचार

 *****************अत्याचार******************

चाहे हो कोई भी सरकार ना चाहिए और अत्याचार
ठंडी क्यूकर बैठे जनता कदे तो ठावैंगे हथियार
मखाँ बेशक तै पाल ले शेर जै घणी दलेरी उठै सै
पर भोली जनता नै वोट समझ क़ै कयान्तै लूटै सै
एकदिन सब नै जाणा सिकंदर सरीखे ना बोहड़े
भाई टेम हिसाब करै सबका इब दिन रहगे थोड़े
मायाँ के पूत जो बॉर्डर ऊपर ज्यान खपा दे हैं
अर बेईमान कुछ नेता चिता पै रोट पका दें हैं
धर्म बड़ा के कर्म समझ मैं क्यूँ आता ना लोगो
माणस का धर्म खरा सै किसे नै भाता ना लोगो
सरकारी तंत्र पै तंज कसणा बोलण की आज़ादी सै
इज्जतां के लूटेरे फिरैं चोगरदै सकते मैं आबादी सै
अरै बहू गरीब की तो लागै सै सारे जग की भाभी
फ़ेर राड़ बधा क़ै लिकड़ज्यां दोगले राख़ै दो चाबी
म्हारै हाथ मैं फ़ेर फूंकण नै रेल अर बस रह ज्यां हैं
खड़े पैर मुकर ज्यां कह क़ै अर कह की कह ज्यां हैं
पाछै फ़ेर देश के ठेकेदारां की मीटिंग खूब होंवै
देश के फ़्यूचर तै आपणे देश मैं चीटिंग ख़ूब होवैं
फ़ेर थोड़े दिन तक मीडिया मैं यें भी मुददे उठैगें
आज रेल बसां नै फूकैं कल म्हारा घर भी फूंकैंगे
फ़ेर दुबारा बात उन्हें ठठेरयां पै आज्यागी यार
चाहे हो कोई भी सरकार ना चाहिए और अत्याचार
धर्म अग़र ख़तरे मैं सै कुछ करदे कयान्तै नी
दंगयां मैं मरैं गरीब ये नेता मरदे कयान्तै नी
होज्या जै हिम्मत बोलण की उसनै चुप करा दे हैं
दे क़ै दाब उस बोलणिया मैं ए खोट कढ़ा दे हैं
गऊ ग़रीब के नाम पै कितणयां के घर चाल्लैं सैं
देख क़ै हालत गऊशाला के कालजा हाल्लै सै
फेसबुकियां की दुनियां मैं दानियाँ का घाटा ना
वो तो गुप्तदान करा गया किसे नै बेरा पाटा ना
धी ब्याहवण का काम बड़ा है छोटी बात नही
घर की कूण तक दिखला दयो दानी की जात नही
जै लोगां की बात चूभैं सैं तो ईसा धंदा छोड़ो ना
दान का नाम अड़ा क़ै घर की देहली खोदो ना
मखाँ धौलपोश बणया हांडै ठेकै दे क़ै खेतां नै
कुल का नाश करालिया खोल क़ै घर के भेतां नै
चार साल के बालक पै लोग दलेरी झाड़ लेंवैं
अरै जड़ मैं रहवण आले देखो जड़ तै पाड़ लेवैं
रेहड़ी आले नै धमकावैं अक जेल की खा ल्यांगे
पाणी मैं छयोंकैं साग आज बिन तेल की खा ल्यांगे
बदमाशी घर की हांसी अर इज्जतां का नाश होवै
कुत्ते खा ज्यां मास बेरा ना कीत सड़ती लाश होवै
हीणे तै ख़ौफ़ दिखा क़ै के मर्दानगी दिख ज्यागी
जब हाय किसे की सेध गई धरती भी बिक ज्यागी
जेलां मैं तै भी चाल्लै आजकल बढ़िया कारोबार
चाहे हो कोई भी सरकार ना चाहिए और अत्याचार
लिखण की ज़िद जै ला बैठया इब रुकदा कोनी रैए
शब्द समुन्द्र भरया पड़्या सै इब्बे मुक़दा कोनी रैए
पिस्यां ख़ातर दादी गैलयां पोते भी रोते देखें सैं
पिलसण के टैम पै दादी नै रिकश्या मैं ढोते देखे सैं
बात की अर्थी काँधै सै फ़ेर भी चलचित्र चाहिए
अर फीलिंग सैड के कैप्शन दे दें इसे मित्र चाहिए
वोटां आला सिस्टम सा भी समझ तै बाहर होया
अरै जो ज्यादा दारू देग्या सीट का दावेदार होया
भगवान के नाम जै लेल्यां तै धर्मां के गरदे काटैं
प्रचार के नाम पै भी देखो नै कानां के परदे पाटैं
लाइम लाइट का ईसा जुनून सै गात उघाड़े होज्यां
जै नही लग़ाम लगाई तो ख़ाला जी के बाड़े होज्यां
स्कूलां मैं बंडै मोबाइल ताकि पढ़ाई चलती होज्या
होनहार बिगड़ ज्यां तो सरकार की गलती होज्या
पक्ष विपक्ष तो न्यू ऐ रहवैगा मुद्दा क्यूँ भूल गए
विपक्षी नेता न्यू बोल्या सत्ता के नशे मैं टूल गए
बहुत हो गया काफी है आगै का बचाक़ै धरलयूं
छोटे स्तर का लिखारी हूँ के बेरा तड़कै मरलयूं
मैं ना सिधु मूसे आला अर ना कदे भी हो सकदा
ना मैं लख्मी चंद बणु ना मैं लेखक हो सकदा
छोटा सा मेरा नाम दीप करूँ चाँदणा मरयार
चाहे हो कोई भी सरकार ना चाहिए और अत्याचार
दीप जांगड़ा

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ऑनलाइन पैसे कमाने के शानदार तरीके: घर बैठे इंटरनेट से इनकम के टिप्स: Ghar Baithe Paise Kamaane Ke Achook Upay Hindi Men

Lapataa Hoon Mai अपने आप से बातों का एक संग्रह एक कविता लापता हूं मैं दीप जांगड़ा की कविता

"अंतर्मन की गहराइयों में: सत्य, अच्छाई और जीवन के विचार" एक कविता के माध्यम से " मैं क्या हूँ" Mai Kya Hoon