जिहादी कोनी थे

बेरा सै जमाने नै पसंद कोन्या आंवे गीत कोन्या आंवे मेरे छंद कोन्या आवें बेशक तै पड़ जियो भूखा मरणा रै पर बाकल आला दीप कदे गंद कोन्या गावै

जारी तै हाँ दूर बस यारी पै गुरुर
मेरे गुरु नै कह्या था गायकी के घर दूर
ना मै कोई कलाकार ना मै कोए सूं स्टार
मै तो शब्दां का हाली सै कलम का शुरुर
मै तो देख आया कढ कै तू पढ़ देख ले
मनै सोच भी बदल ली रै अब देख ले
तू न्यू कह्या करता ना ये शब्द कोन्या चाल्लें
कित तै रै उठ आया सै यु हढ देख ले
सोच सब की अलग सै जमाने मै रै भाई
म्खां पाड़ कोनी लागता खजाने मै रै भाई
बूढ़े माणसां मैं बैठ क़ै ऐ ज्ञान मिलै सै
स्कूल कोन्या लागते मैख़ाने मै रै भाई
नश्याने मै मरयार तेरे दम होणा चाहिए
भीतर आला साफ़ दिख्यावा कम होणा चाहिए
फेर उठेगा रै धुम्मा तो पाताल मै तै भी
बेटे शब्दां का इसा कोई बम्ब होणा चाहिए
काल चाल्लें थी ट्रालिया जो भर भर कै
किसान थे वें लोगो आतवादी कोनी थे
जो मारे सरकार तेरे जुल्मां नै सुण ले
वो बूढ़े अर गाभरू जिहादी कोनी थे

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