गोली
****************गोली****************
कबराँ के इतिहास खोलते रह गे रै
भूल गए के होरया धरती धोली पै
दिन धौले बदमाश मार गे अरमानां नै
जिंदगी मैं इब्बे घणे खुलासे बाकी हैं
इब्बे तो बस मौत का बेरा पाट्या सै
लड़णे की बस सोची सै हालाँतां तै
बिना खुबाँत के किसनै जीवन काट्या सै
अर्थी तै इब अस्थि भारी लागैं सैं
क्यूकर एक मां नै आज कालजा डाट्या सै
आंख्यां मैं खून उतर आया
के बच्या बाप की झोली पै
दिन धौले बदमाश मार गे अरमानां नै
लोग कहवैं सैं नाम लिख्या था गोली पै
च्यार दिनां मैं लोग भूल ज्यां
क्यूकर वो आँगण भुल्लैगा
यादां की आंगो भर क़ै नै
तेरा दुख मैं बारणा टूल्लैगा
खावण नै आवैंगे तेरे बचपन आले किस्से
जब भी तेरा दरवाजा रै गैल हवा के खुल्लैगा
वैं खेत खलिहाण भी रोवैंगे
जब पां पड़ै किसे का ड्योली पै
दिन धौले बदमाश मार गे अरमानां नै
लोग कहवैं सैं नाम लिख्या था गोली पै
दे क़ै दिलासा जाँच होण का देख लियो
सरकारी तंत्र आपणा पल्ला झाड़ लेवै
जाण आळ्यां की गई कमाई उमरां की
बूढ़े हाड़ बता क्यूकर ओट उजाड़ लेवैं
सुण क़ै लोगां की बात आंख भर आवैं
मां नै कुरलांदी देख जमीन बिवाड़ लेवै
काळजै लाकै पाल्या था जो लाल कदे
के बच्या "दीप" उस मां बाबू की कौली पै
दिन धौले बदमाश मार गे अरमानां नै
लोग कहवैं सैं नाम लिख्या था गोली पै
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