जीवन है दर्शन का मेला

कुछ जा लिए कुछ आवेंगे आपणा पराया कोई नही जीवन है दर्शन का मेला क्या खोया पाया कोई नही

जन बध ज्या कदे बण बध ज्या
कुदरत का बढ़ना जारी है
पाप बढ़या जै बध्या जाप भी
ज्ञान का बढ़ना जारी है
धोखा बध्या सै पर बध्या न्याय भी
कानून का बढ़ना जारी है
जीव बध्या जै बधी मृत्यु
संघर्ष का बढ़ना जारी है
टोटा नफा भागां का लाग्या
खुद लेख लिख्याया कोई नही
जीवन है दर्शन का मेला
क्या खोया पाया कोई नही
मोह बध्या जै बध गी ईर्ष्या
गोरखधंधा बढ़ना जारी है
साधु बढ़े जै बढगे पापी
पश्चाताप का बढ़ना जारी है
शिवालय बढ़े तै बढ़े मयखाने
संताप का बढ़ना जारी है
भाईचारा बध्या तो बढ़ गी नफरत
विलाप का बढ़ना जारी है
दो जावेंगे च्यारां नै आणा
पर मन का चाहया कोई नही
जीवन है दर्शन का मेला
क्या खोया पाया कोई नही
पशु बढ़े तो बढ़े बूचड़खाने
मांसाहार का बढ़ना जारी है
ज्ञान बध्या तो बधी चतुराई
अत्याचार का बढ़ना जारी है
परिवार बढ़े तो कलेश बध्या
संसार का बढ़ना जारी है
धर्म बढ़या तो दंगे भी बढ़ गे
तकरार का बढ़ना जारी है
नया साल मुबारक हो सबनै
"दीप" मन भाया कोई नही
जीवन है दर्शन का मेला
क्या खोया पाया कोई नही
कुछ जा लिए कुछ आवेंगे
आपणा पराया कोई नही
जीवन है दर्शन का मेला
क्या खोया पाया कोई नही
दीप जांगड़ा

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