इतिहास
**************** इतिहास ***************
जिंदगी सब नै प्यारी लागै सै पर मौत सब तै ख़ास है
जिंदे जी सब दुत्कारे जावैं वैं भी जो आज इतिहास है
सदियां तै या मुहोब्बत तो उएँ रुलदी आण लाग री सै
ईश्क़ के मरीजां तै बूझो नै अक कितणीक प्यास है
अंधेरे घर मैं राह टोहणा अणजाण भला क्यूकर जाणै
विभीषण तै फेटो भेदी होण मैं बसेबा सै अक नाश है
झूठी रितां नै कालजै क़ै चेप क़ै बरयान हो री दुनिया
पड़ोसी कर क़ै खांदे नै देख क़ै घणी बस्ती उदास है
आज काल दौर चाल रया है लाशां पै मंडे शेकण का
भूखे नै बस सांझ की चिंता सै अर रोटी की तलाश है
आच्छे दिनां आले माणस नी उनके दावे भी फैल होगे
अर पुंझड पै लटके होए लोगां नै इब तक आस है
मनै पाग़ल बोहत कहवैं हैं थारै समाज मैं रहवण आले
लगभग मरे जाऊं सांझ नै पर मेरी क़लम मेरे पास है
गुड़ तै बुझीयो मीठा होण का के नुकस्यान होया करै
अर गंडे रस लोगों बिना नमक भला किस नै रास है
उजाड़ करण आले तो छाती पै छान घाल क़ै बैठ गे
अर हाम सोचदे रह गे के जणु मज़बूती का न्यास है
मेरे टिकड़याँ मैं नूँण नही अर तेरा फुल्का कच्चा है
अरै धर्म की रक्ष्या करणी घण्यां नै या ऐ ख़यास है
सफ़राँ की चाह मैं रास्ता भटक जाणिये लोगो सुणो
भाई जो कष्टी नै ऐ ना जाणते वैं ही तो निराश हैं
न्यास = स्थापना करना
हमास = उत्साह
दीप जांगड़ा
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