शौक़ नवाबी

 उनके हैं जी शौक़ नवाबी क्या कहना अपना क्या आटा दाल कमाया करते हैं

दिल से हैं रुखसत वो ना जाने कब से
बस खामोशी में वक्त बिताया करते हैं
अजी उनकी दुखड़े रोने की आदत होगी
हम तो जोगी ठहरे गुनगुनाया करते हैं
उनकी महफिल से लाख बार रुसवा लौटे
अब वीरानों में जश्न मनाया करते हैं
वो पानी से दिए जलाकर रखते हैं
हम माचिस से आग बुझाया करते हैं
रहते हैं हम खास माहौल ऐ इश्क में
चाहत के ही ख्वाब सजाया करते हैं
वो उलझी लटें सवार रहे है इबादत से
हम खुद को अच्छा वक्त सुझाया करते हैं
दीवारों पे दर्ज हैं वो किस्से एक अरसे से
आंसुओं से एक एक दास्तान मिटाया करते हैं
हमें अब मौत का डर नही लगता यारो
आजकल जिंदगी से घबराया करते हैं
दीप जांगड़ा

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ऑनलाइन पैसे कमाने के शानदार तरीके: घर बैठे इंटरनेट से इनकम के टिप्स: Ghar Baithe Paise Kamaane Ke Achook Upay Hindi Men

Lapataa Hoon Mai अपने आप से बातों का एक संग्रह एक कविता लापता हूं मैं दीप जांगड़ा की कविता

"अंतर्मन की गहराइयों में: सत्य, अच्छाई और जीवन के विचार" एक कविता के माध्यम से " मैं क्या हूँ" Mai Kya Hoon