झुकना पड़ ज्या है
*************झुकना पड़ ज्या है**************
धन की मोह माया मैं फंस कै मुकना पड़ ज्या है
ईसा मुकाम आज्या कई बारी झुकना पड़ ज्या है 2
छोड़ें सै बीच भंवर मैं ल्या कै राह मैं रिश्ते तोड़ लेवें
आधी रात खड़े सां कह कै धन की गठड़ी जोड़ लेवें
एक थाली मैं खावनिया थाली मैं ठिकरा फोड़ लेवें
फेर दुनिया के ताने मेहने सुन कै रुकना पड़ ज्या है
ईसा मुकाम आज्या कई बारी झुकना पड़ ज्या है 2
यार मार का खतरा तो सौ का सौ बण्या पडया था
टोटे मैं मानस जीवे था कती छाती ताण खड्या था
वो उद्धम सिंह भी माणस था दुश्मन के घराँ बड़या था
बाबे दीप सिंह का नाम सुन्या जो बिना शीश लड्या था
जब सांस छोड़ दे साथ तो लोगो टूटना पड़ ज्या सै
ईसा मुकाम आज्या कई बारी झुकना पड़ ज्या है 2
बातां के ब्योपारी का तो काम बातां तै सर ज्यागा
एक दिन ना गात कमाया कुनबा भूखा मर ज्यागा
नुगरे मानस की के यारी टेम पै कन्नी कर ज्यागा
मखां नाम हरी का रट ले नै बंदे आपे तर ज्यागा
जब काम काढ़ना हो किते भी ढुकना पड़ ज्या है
ईसा मुकाम आज्या कई बारी झुकना पड़ ज्या है 2
बदमाश बणन की चाह मैं लोगो जने खणे हांडे
अर घर के धंधे तै ट्ल कै गाल मैं तने तने हांडे
कती जड़ तै बाढण आले आजकल मीत बने हांडे
मानस की कद्र ना जानें इसे बेईमान घने हांडे
जित झूठ के साथी हों सच्यां नै उठना पड़ ज्या है
ईसा मुकाम आज्या कई बारी झुकना पड़ ज्या है 2
मजे हालातं के लेज्यां लोग बातां की खावणिया
खून के रिश्ते तुड़वादें दुत्ते अर चुगली लावणिया
कदे ना कामयाब होते ईश्क अर मुश्क लुकावणिया
इज्जतां की कद्र घटा दे हैं बोली शकलां पै पावणिया
चेहरे होज्यां बदनाम तो लोगो लुकना पड़ ज्या है
ईसा मुकाम आज्या कई बारी झुकना पड़ ज्या है 2
बात धर्मा की छिड़ ज्या तो लाभ सरकारां का होवे
रे खून सड़काँ पै बिखरे सै नाश घर बारां का होवे
लाश छैनाँ मैं शीलगै सै अर जीकर चौबारां का होवे
आंख की चोरी पकड़ी ज्यावे दोष इशारयां का होवे
कुछ साहुकारां का दोष चोर तै पूछना पड़ ज्या है
ईसा मुकाम आज्या कई बारी झुकना पड़ ज्या है 2
बाप की पगड़ी खतरे मैं औलाद नशे मैं टुन्न होरी
राजनीति का ताप चढ्या बस सत्ता की धुन होरी
लाचार का बालक मरवा कै दुनिया सारी सुन्न होरी
भीतरे भीतर खावे ऐसी यारी लोगो ऐसी घुण होरी
न्याय के बदले घा मिलज्यां तो घुटना पड़ ज्या है
ईसा मुकाम आज्या कई बारी झुकना पड़ ज्या है 2
आपना कह कै जद कोई आपना मुखड़ा फेर लेवे
फेर आजादी के मस्तान्यां की मस्ती नै घेर लेवे
अरे टुकड़े कर कै जिस्मां के टुकड़यां नै हेर लेवे
लोगो खून तै सींचे पौधे के भी फल नै केर लेवे
खाती पीती रूहां नै उस दिन सुखना पड़ ज्या है
ईसा मुकाम आज्या कई बारी झुकना पड़ ज्या है 2
मौत की पहरेदार जवानी बीच भंवर मैं नैया सै
रुंग रुंग गिरवी धर राख्या हर बच्चा करजईया सै
रूह के रिश्तेदार घने हैं कोई ना साथी भैया सै
मार बखत की देखो नै या क्यूकर सहती गईया सै
कहवन नै मां सै दर्द की की गेल्यां सुखना पड़ ज्या है
ईसा मुकाम आज्या कई बारी झुकना पड़ ज्या है 2
दीवारां के बोझ मैं घणिए छात्यां के डांडे टूट लिए
अरे कदर करी ना हाली नै घणे कमेरे ढांडे टूट लिए
साहुकारां की रीस मैं लोगो बासण भांडे टूट लिए
संस्कार तड़पदे रहगे रे रिश्तयां के कांडे टूट लिए
बखत भी ईसा बना दे खेल टेम तै उकना पड़ ज्या सै
ईसा मुकाम आज्या कई बारी झुकना पड़ ज्या है 2
"दीप" कलम का धनी नही सै शब्दां नै जोड़ण जानै सै
ऊंच नीच का भेद पता है खुद गात नै मोडन जानै
बेभागा सा लिखणिया सै कलम भी तोड़न जानै सै
सुबह भूल मैं लकड़या था सांझां नै बोहड़न जानै सै
मखां धर कै सीध निष्याने पै भी चूकना पड़ ज्या सै
ईसा मुकाम आज्या कई बारी झुकना पड़ ज्या है 2
हां मैं हां का मिलना होज्या कोई माड़ी बात नही सै भाई
दान लिखा कै करै दिखावा दानी की जात नही सै भाई
फसल राम की वो काटेगा या आपने हाथ नही सै भाई
सच्चे गैल्यां मरणा मानां झूटयां का साथ नही सै भाई
दीप जांगड़ा
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