कुर्सियों के सफ़ेदपोश रहनुमाओं बताओ मुझे मैं वोट क्यों करूँ
**************वोट क्यों*************** कुर्सियों के सफ़ेदपोश रहनुमाओं बताओ मुझे मैं वोट क्यों करूँ तुम्हारे विकास की पर्ची देखे बिना सिर्फ नाम को सपोर्ट क्यों करूँ युवा हूँ मैं पहला मतदान है मेरा स्वयं हित या देश हित देखूँ मैं मैं काम देखूँ मैं पहचान देखूँ या गलियों में बिखरे नोट देखूं मैं मैं चेहरा देखूँ या पहरा देखूं या फिर दुश्मनों की स्पोर्ट देखूँ मैं मैं सुनूँ तुम्हारे भाषण ध्यान से या पिछले वर्षों की रिपोर्ट देखूँ मैं तुम्हारे भाषण में बहकर मैं राष्ट्रीय छवि को भला चोट क्यों करूँ कुर्सियों के सफ़ेदपोश रहनुमाओं बताओ मुझे मैं वोट क्यों करूँ पिछली बार जब आये थे तुम मुझे याद है जो वादे कर के गए थे विकास के नाम पर और लहर के झांसे में हमको भर के गए थे सबकी उम्मीदों को तोड़ा है जो तुम्हारे पीछे गाड़ी भर के गए थे एक भी न सुनी तुमने जब कभी तुम्हारे दर पर हम मर के गए थे फिर एक बार तुम्हे ही चुन कर मैं अपने मत का भी खोट क्यों करूं कुर्सियों के सफ़ेदपोश रहनुमाओं बताओ मुझे मैं वोट क्यों करूँ किसान मरे, जवान मरे, मज़दूर तंग, बेटी मरे, व्यापारी डरते हैं समझ नही आता के क्यों पसन्द ...